केवलादेव नेशनल पार्क कहा है | keoladeo national park kahan hai

नमस्कार साथियों, आज हम आपको लेकर चलते है, एक ऐसे राष्ट्रीय उद्यान में, जो की जंगली जानवरों के लिए नहीं बल्कि पक्षियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. पक्षी प्रेमियों के लिए यह राष्ट्रीय उद्यान किसी स्वर्ग से कम नहीं है. हम बात कर रहे हैं, राजस्थान राज्य के भरतपुर में स्थित केवलादेव नेशनल पार्क की, जो की पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिये मेजवानी करता है.

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहां स्थित है:

सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि पक्षियों के लिए स्वर्ग के समान यह अभयारण्य भारत के राजस्थान प्रांत में है. भरतपुर जिले में स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर शहर में ही स्थित है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास:

प्राचीन समय में यह वन क्षेत्र भरतपुर के राजा महाराजाओं का शिकारगाह हुआ करता था. इस क्षेत्र में भरतपुर के राजा शिकार किया करते थे. यह वन क्षेत्र मात्र २८ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, तथा इसके बीचो बीच भगवान शिव का मंदिर स्थित है. जिसे केवलादेव के नाम से जाना जाता है. इसी कारण इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान रखा गया. वर्ष १९६४ में इस वन क्षेत्र को पक्षी अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया, तथा मार्च १९८२ को इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया साथ ही वर्ष १९८५ को इस राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया, तथा यह क्षेत्र देश की प्रमुख नम भूमियों में सम्मिलित है, जिन्हें रामसर साइट के नाम से भी जाना जाता है.

केवलादेव नेशनल पार्क की वनस्पति:

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अर्ध शुष्क एवं घनी वनस्पति वाला क्षेत्र है यह क्षेत्र मानव निर्मित है. घनी वनस्पति होने के कारण इसका नाम घना पक्षी विहार भी रखा गया. यहां घना से मतलब मोटा अथवा सघन है । इस राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन पाए जाते हैं, तथा यहां पर मोटी घास अत्यधिक मात्रा में फैली हुई है जिनमें पक्षी स्वतंत्रता पूर्वक विचरण करते रहते हैं. वर्तमान में इस क्षेत्र में पानी की कमी के कारण इसका अधिकांश क्षेत्र सूख चुका है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की उपलब्धता भरतपुर के निकट स्थित अजान बांध से की जाती है.

केवलादेव नेशनल पार्क में पाए जाने वाले पक्षी और वन्यजीव:

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य आकर्षण साइबेरियन सारस है, जोकि साइबेरिया से सर्दियों के मौसम में इस राष्ट्रीय उद्यान में भ्रमण करने हेतु विशाल दलों के साथ आते हैं. यहां का वातावरण साइबेरियन सारस को अत्यधिक पसंद आता है. इसी कारण साइबेरियन सारस यहां आकर अपनी संतान उत्पत्ति करते हैं, तथा लगभग ३ से ४ महीने बाद वापस अपने देश लौट जाते हैं. साइबेरियन सारस भारतवर्ष में केवल इसी राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं, जो कि देखने में अत्यधिक सुंदर तथा मनमोहक लगते हैं. साइबेरियन सारस के अलावा इस वन क्षेत्र में लगभग ३५० से अधिक पक्षियों की प्रजातियां , ३८० के लगभग फूलों की प्रजातियां, १३ सर्पों की प्रजाति, भारत में पाई जाने वाली १० कछुओं की प्रजातियां में से ७ प्रजातियां और ७ उभयचर प्रजातियां निवास करती हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के मध्य भाग में ही पानी के निकट एक अजगर पॉइंट है जहां पर सर्दियों के मौसम में अजगरों को धूप सेकते हुए आसानी से देखा जा सकता है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में सफारी:

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में सफारी बहुत ही सस्ते दामों पर उपलब्ध हो जाती है. यहां पर सफारी मुख्य रूप से तीन प्रकार की है, जो कि आपको प्रातः ६:30 से शाम ५:30 बजे तक उपलब्ध होगी. जिसकी कीमत मात्र ५० रुपए से लेकर ३५० रुपए तक है.

साइकल सफारी, रिक्सा सफारी और जीप सफारी के माध्यम से आप राष्ट्रीय उधान में भ्रमण कर सकते हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे:

केवलादेव नेशनल पार्क आप वायु परिवहन, सड़क परिवहन तथा रेल परिवहन के माध्यम से बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं. आइए हम बताते हैं कि यह नेशनल पार्क किस प्रकार देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है.

वायु परिवहन:

निकटतम हवाई अड्डा – आगरादूरी

दुरी – ५४ किलोमीटर

रेल परिवहन:

निकटतम रेलवे स्टेशन – भरतपुर

दूरी – ५ किलोमीटर

सड़क परिवहन:

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या २१ पर ही यह राष्ट्रीय उद्यान स्थित है जो की आगरा को बीकानेर से जोड़ता है.

केवलादेव नेशनल पार्क में होटल तथा रेस्टोरेंट्स:

केवलादेव नेशनल पार्क के अंदर तथा बाहरी क्षेत्र में अनेकों होटल तथा रेस्टोरेंट्स जो कि गुणवत्ता में अच्छे तथा कम बजट में हैं , जहां पर आप आसानी से ठहर सकते हैं. आसपास के कुछ होटल तथा रेस्टोरेंट्स के नाम आगे है.

० भरतपुर फॉरेस्ट लॉज

० शांतिवन कुटीर

० होटल प्रताप रेजिडेंस

० होटल द पार्क

० वीणा महल

केवलादेव नेशनल पार्क घूमने का सही समय:

यदि आप पक्षी प्रेमी और पर्यटन के शौकीन हैं, तो केवलादेव नेशनल पार्क आप ही के लिए बना है. आप केवलादेव नेशनल पार्क यदि घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो हम आपको जानकारी दे देते हैं कि यहां सर्दियों के मौसम में घूमना सबसे अच्छा समय है. जो कि अक्टूबर से लेकर मार्च तक का है। इस समय में आपको पक्षियों की सारी प्रजातियां देखने को मिलेंगे.

आशा करता हूं कि केवलादेव नेशनल पार्क कहा है? इस लेख कि जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और साथ ही आपके लिए सहायक सिद्ध होगी. आपकी यात्रा सुखद हो.

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